बदलापुर की घटना ने पोक्सो के असर पर बहस छेड़ दी है। बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए ये कानून 2012 में बना था। लेकिन साफ है कि इस कानून पर उचित अमल सुनिश्चित करने में हमारी व्यवस्था नाकाम रही है।
बॉम्बे हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद बदलापुर कांड को लेकर आयोजित विपक्ष का महाराष्ट्र बंद टल गया, लेकिन इस घटना को लेकर राज्य में फैले आक्रोश पर विराम नहीं लगा है। इस घटना से जाहिर हुआ कि स्कूलों में बच्चियों की सुरक्षा आज भी कितनी लचर है। यह टिप्पणी खुद अदालत ने की है कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती, तो फिर शिक्षा के अधिकार का क्या मतलब रह जाता है। महाराष्ट्र में ठाणे के बदलापुर में स्थित एक स्कूल में प्री-प्राइमरी क्लास में पढ़ने वाली चार साल की दो बच्चियों के यौन उत्पीड़न होने की खबर आई। बताया जाता है कि ये घटना स्कूल के टॉयलेट में 12 और 13 अगस्त को हुई। यौन उत्पीड़न का आरोप स्कूल में काम करने वाले क्लीनर अक्षय शिंदे पर लगा। पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस ने कार्रवाई करने में देरी की। पुलिस ने 16 अगस्त को जाकर एफआईआर दर्ज की। उसके बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया। ये खबर फैलते ही बदलापुर में जन आक्रोश भड़क उठा।
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