नवरात्रि का आठवां दिन: महागौरी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
नवरात्रि एक विशेष धार्मिक पर्व है, जिसमें विभिन्न अनुष्ठान और पूजा विधियों का आयोजन होता है। हर दिन का अपना एक विशेष महत्व होता है, और आठवां दिन, जिसे अष्टमी या महाअष्टमी कहा जाता है, अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप, मां महागौरी की पूजा की जाती है। आइए, जानते हैं इस दिन के महत्व, पूजा विधि और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में।
नवरात्रि के आठवें दिन का महत्व
नवरात्रि अष्टमी का दिन/8th day of Navratri मां महागौरी को समर्पित है। मां का यह स्वरूप अत्यंत करुणामय और सौम्य है। जो भी भक्त अष्टमी पूजा करता है, वह जीवन की कठिनाइयों से मुक्त होता है। मां महागौरी का पूजा करने से सभी पाप, कष्ट और दुख समाप्त हो जाते हैं, और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मां को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य देने वाली और चैतन्यमयी के नाम से भी जाना जाता है।
नवरात्रि के आठवें दिन का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष, नवरात्रि का आठवां दिन 10 अक्टूबर 2024 को आएगा।
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 10 अक्टूबर, गुरुवार 12:31 PM
अष्टमी तिथि समाप्त: 11 अक्टूबर, शुक्रवार 12:06 PM
मां महागौरी को भोग और बीज मंत्र
इस दिन, महागौरी को नारियल या नारियल से बनी मिठाइयों का भोग अर्पित करें। नारियल लड्डू बनाकर अर्पित करना विशेष फलदायी माना जाता है।
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नारियल लड्डू बनाने की विधि:
- कसा हुआ नारियल धीमी आंच पर भूनें।
- दूध और खोया मिलाकर अच्छे से भूनें।
- ठंडा होने पर लड्डू बना लें और मां को भोग चढ़ाएं।
मां महागौरी का बीज मंत्र:
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नमः
पूजा विधि
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- चौकी को साफ करें और गंगाजल छिड़कें।
- दीपक प्रज्वलित करें।
- भगवान गणेश का 11 बार जाप करें।
- मां महागौरी का आह्वान करें और उन्हें निम्न मंत्र से स्मरण करें:
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्... - माता को कुमकुम का तिलक लगाएं और कलश का पूजन करें।
- सफेद कनेर के पुष्प अर्पित करें और धूप-दीप जलाएं।
- ऋतु फल और चावल की खीर का भोग अर्पित करें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और आरती गाएं।
मां महागौरी की कथा
मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया, जिसके कारण उनका शरीर काला पड़ गया। भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें गंगाजल से स्नान कराया, जिससे उनका रूप गौरवर्ण हो गया। इसी कारण उन्हें महागौरी कहा जाता है।
मां महागौरी की आरती
आरती गाते समय श्रद्धा से मां महागौरी का ध्यान करें:
ॐ जय जय महागौरी मैया ॐ जय जय महागौरी निशदिन ध्यावत तुमको निशदिन ध्यावत तुमको ऋषि मुनि नर शिव जी ॐ जय जय महागौरी
ॐ जय जय महागौरी मैया ॐ जय जय महागौरी निशदिन ध्यावत तुमको निशदिन ध्यावत तुमको ऋषि मुनि नर शिव जी ॐ जय जय महागौरी
डमरू त्रिशूलधारिणी पापों का नाश करें मैया पापों का नाश करें वृषभ वाहन पे विराजे वृषभ वाहन पे विराजे माँ कल्याण करे ॐ जय जय महागौरी
श्वेत वस्त्र माता का छवि है मनभावन मैया छवि है मनभावन सांचे मन से पुकारो सांचे मन से पुकारो माँ देगी दर्शन ॐ जय जय महागौरी
गौर वर्ण मैया का साधक रहे प्रसन्न मैया साधक रहे प्रसन्न श्रद्धा पुष्प चढ़ाओ श्रद्धा पुष्प चढ़ाओ पावन कर लो मन ॐ जय जय महागौरी
अष्टमी नवराते में पूजा माँ की करो पूजा माँ की करो माँ विपदा है मिटाती माँ विपदा है मिटाती माँ का ध्यान धरो ॐ जय जय महागौरी
अवतार लियो दक्ष ग्रीह लीला निराली की मैया लीला निराली की शिव वैरागी खोये शिव वैरागी खोये मोहिनी थी डारी ॐ जय जय महागौरी
शरणागत की रक्षक मात भवानी तुम माता भवानी तुम सुन लो माता अरज तुम सुन लो माता अरज तुम द्वार आये तेरे हम ॐ जय जय महागौरी
मंदिर में माँ तेरे सदा ही सुख बरसे मैया सदा ही सुख बरसे अन्न धन सब माँ पावे अन्न धन सब माँ पावे अपूर्ण नर न रहे ॐ जय जय महागौरी
माँ महागौरी की आरती जो नर नित गावे मैया जो नर नित गावे भाव सिंधु से तरे वो भाव सिंधु से तरे वो व्याधि मिट जावे ॐ जय जय महागौरी
ॐ जय जय महागौरी मैया ॐ जय जय महागौरी निशदिन ध्यावत तुमको निशदिन ध्यावत तुमको ऋषि मुनि नर शिव जी ॐ जय जय महागौरी
ॐ जय जय महागौरी मैया ॐ जय जय महागौरी निशदिन ध्यावत तुमको निशदिन ध्यावत तुमको ऋषि मुनि नर शिव जी ॐ जय जय महागौरी
इस दिन की पूजा से भक्तों को सुख, समृद्धि और कल्याण की प्राप्ति होती है। इस अष्टमी को विशेष रूप से मां महागौरी की कृपा प्राप्त करने का अवसर है।
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